कथा और प्रवचन में अंतर katha aur pravachan me antar

कहानी- कहानी सुनाने की जो पद्धति होती है उसी को कथा कहा जाता है। अक्सर कथा लोगों के मनोरंजन के साथ में कई शिक्षाप्रद जानकारी भी देती है जिससे लोग अपने जीवन में कई तरह का बदलाव लाते हैं। कथा अक्सर कई महापुरुष भी सुनाते हैं एवं कई तरह की कथाएं हम पुरानी किताबों आदि में भी पढ़ते हैं।

कोई भी व्यक्ति यदि कुछ बड़ा ज्ञान बातों से नहीं सीख पाता तो उसे सिखाने के लिए कथा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि कथा मनुष्य का ध्यान अपनी ओर खींचती है। लोग अक्सर कथा सुनना और पढ़ना दोनों ही पसंद करते हैं। कथा से मनुष्य को मनोरंजन के साथ में कई तरह का ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रवचन- अच्छी नैतिक या धार्मिक विषयों पर की जाने वाली बातों को प्रवचन कहते हैं। प्रवचन अक्सर कई संत, महात्मा देते हैं। प्रवचन में नैतिक या धार्मिक बातें महापुरुष कई तरह से लोगों को समझाने का प्रयत्न करते हैं। भारत देश में प्रवचन सुनने के लिए कई जगह लोगों की भीड़ लग जाती है। प्रवचन के बीच-बीच में सुनाने वाले संत महात्मा कथाओं का सहारा लेते हैं और अपने प्रवचनों को और भी बेहतरीन बनाते हैं।

प्रवचन में जरूरी नहीं कि कथा या कहानी ही हो संत महात्मा कई तरह की ऐसी नैतिक बातें बताते हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। अक्सर प्रवचन सुनाने के लिए कई संत महात्मा हमारे गांव शहर में आते हैं और हम अपने जीवन में कई तरह का धार्मिक और नैतिक ज्ञान प्राप्त कर पाते हैं।