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ज्योतिष शिक्षण सत्र शुरू

ज्योतिष शिक्षण सत्र शुरू

टोंकअखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ की ओर से ज्योतिषवास्तुहस्तरेखाअंकशास्त्र शिक्षण सत्र शुरू किया गया है। संस्थान निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि पाठ्यक्रम के दौरान ज्योतिषवास्तुहस्तरेखाअंकशास्त्रवैदिक शास्त्रशरीर सर्वांग में शिक्षण व शोध कार्य आदि की कक्षाएं प्रत्येक शनिवार व रविवार को लगाई जाएंगी।

ज्योतिष विद्यापीठ उत्तर भारत का एक प्राचीनप्रसिद्धविश्वसनीय और सम्मानित ज्योतिष संस्थान है । प्रस्तुत संस्थान में ज्योतिष शास्त्रवास्तु शास्त्रयंत्र शास्त्र की विद्या प्रदान करने के अतिरिक्त ज्योतिष नियमानुसार कुंडली विश्लेषण और वास्तु नियमानुसार वास्तु सलाह भी दी जाती है । विद्यालय के मुख्य ज्योतिष अध्यापक श्रीमान अनुराग कौशिक जी को 70,000 से ज़्यादा जन्म कुण्डलियों के विश्लेषण का और अनगिनत लोगों को ज्योतिष सिखाने का अनुभव प्राप्त है । आप फोन पर या उनसे मिल कर जन्म कुंडली दिखा सकते हैं । 

घर बैठे ही ज्योतिष सीखने के लिय basic and advance astrology video course में admission ले सकते हैं । 

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ज्योतिष विद्यापीठ की स्थापनाश्रीमान अनुराग कौशिक द्वारा सन 2007 में अंबाला छावनी में की गयी । ज्योतिष विद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ज्योतिष ज्ञान को आमजन तक पहुंचाने के अतिरिक्तज्योतिष की साफ सुथरी छवि को स्थापित करना था । कुछ लोगों के मन में ज्योतिष को ले कर मात्र वहमअंधविश्वास या चमत्कार जैसी भावना ही पनपती देखी गयी हैइसी वहमअंधविश्वास या चमत्कार की भावना को समाप्त करके ज्योतिष को प्राचीन स्तर पर पुनः स्थापति करने के उद्देश्य से ज्योतिष विद्यापीठ की स्थापना की गयी ।

 

                     ज्योतिष विद्यापीठ 2007 से हजारों की संख्या में स्त्री पुरुषों को ज्योतिष विद्या प्रदान कर चुका है और अभी भी ज्योतिषवास्तु या यंत्र विद्या पर निरंतर कक्षाएं लगाई जा रही हैं ।

 

                     स्थान दूरी वाले विद्यार्थियों के लिए रेगुलर कक्षा में आना संभव न हो पाने पर विडियो द्वारा ज्योतिष सिखाने का प्रबंध भी किया जा चुका हैं । विद्यार्थीनौकरीपेशाव्यापारीसेवानिवृतग्रहणियां इत्यादि सभी लोग समान रूप से ज्योतिष कक्षाओं में रुचि लेते हैं । कुछ लोग शौकिया ज्योतिष सीखते हैंतो कुछ ज्योतिष को व्यवसाय बनाने के लिए सीखते हैंतो कुछ लोग समाज सेवा के लिए ज्योतिष सीखते हैं । विद्यालय से ज्योतिष सीख कर विद्यार्थी अलग अलग शहरों में ज्योतिष का प्रयोग अपने अपने उद्देश्यपूर्ति हेतु कर रहे हैं । 

 


                     इसके अतिरिक्त विद्यालय के एक कार्यालय में कुंडली विश्लेषण भी किया जाता है । यह विश्लेषण विद्यालय के मुख्य ज्योतिष अध्यापक अनुराग कौशिक जी द्वारा ही किया जाता है । उन्हे कम से कम 50,000 कुंडलियाँ देखने का अनुभव प्राप्त है । उनसे समय ले कर ही मिलना होता है । 

 


                     कार्यालय से ही वास्तु सलाह भी प्रदान की जाती है । लोग समय ले कर मिलते हैं और अपने नक्शे अनुराग कौशिक जी को दिखाते हैं । आवशयकता होने पर अनुराग जी स्थल पर भी जाते हैं । 

 

शिक्षा और ज्योतिष | Education and Astrology | Education Astrology

आधुनिक समय में सभी अपनी शिक्षा का स्तर उच्च रखने की चाह रखते हैं. अभिभावक भी अपने बच्चो की शिक्षा को लेकर चिन्तित रहते हैं. प्राचीन समय में ब्राह्मण का कार्य शिक्षा प्रदान करना था. विद्यार्थीगण आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है. वर्तमान समय में तो विद्या का स्वरुप बहुत बदल गया है. आज अच्छी आजीविका पाने के लिए अच्छी शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक समझा जाता है. जबकि विद्यार्थियों को उनकी क्षमतानुसार तथा उनकी मानसिकता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करानी चाहिए. जो आगे चलकर उनके आजीविका प्राप्ति में सहायक सिद्ध हो सके.

आधुनिक समय में बच्चा शिक्षा कुछ पाता है और आगे चलकर व्यवसाय कुछ होता है. ज्योतिष के आधार पर बच्चे की शिक्षा के क्षेत्र में सहायता की जा सकती है. शिक्षा का आंकलन करने के लिए शिक्षा से जुडे़ भावों का आंकलन करना आवश्यक है. कुण्डली के दूसरेचतुर्थ तथा पंचम भाव से शिक्षा का प्रत्यक्ष रुप में संबंध होता है. आइए इन भावों का विस्तार से अध्ययन करें.

द्वित्तीय भाव | Second House

इस भाव को कुटुम्ब भाव भी कहते हैं. बच्चा पांच वर्ष तक के सभी संस्कार अपने कुटुम्ब से पाता है. पांच वर्ष तक जो संस्कार बच्चे के पड़ जाते हैंवही बाकी जीवन की आधारशिला बनते हैं. इसलिए दूसरे भाव से परिवार से मिली शिक्षा अथवा संस्कारों का पता चलता है. इसी भाव से पारीवारिक वातावरण के बारे में भी पता चलता है. बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में इस भाव की मुख्य भूमिका है. जिन्हें बचपन में औपचारिक रुप से शिक्षा नहीं मिल पाती हैवह भी जीवन में सफलता इसी भाव से पाते हैं. इस प्रकार बच्चे की एकदम से आरंभिक शिक्षा का स्तर तथा संस्कार दूसरे भाव से देखे जाते हैं.

चतुर्थ भाव | Fourth House

चौथा भाव कुण्डली का सुख भाव भी कहलाता है. आरम्भिक शिक्षा के बाद स्कूल की पढा़ई का स्तर इस भाव से देखा जाता है. इस भाव के आधार पर ज्योतिषी भी बच्चे की शिक्षा का स्तर बताने में सक्षम होता है. वह बच्चे का मार्गदर्शनविषय चुनने में कर सकता है. चतुर्थ भाव से उस शिक्षा की नींव का आरम्भ माना जाता हैजिस पर भविष्य की आजीविका टिकी होती है. अक्षर के ज्ञान से लेकर स्कूल तक की शिक्षा का आंकलन इस भाव से किया जाता है.

पंचम भाव | Fifth House

पंचम भाव को शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भाव माना गया है. इस भाव से मिलने वाली शिक्षा आजीविका में सहयोगी होती है. वह शिक्षा जो नौकरी करने या व्यवसाय करने के लिए उपयोगी मानी जाती हैउसका विश्लेषण पंचम भाव से किया जाता है. आजीविका के विषय में सही विषयों के चुनाव में यह भाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

शिक्षा प्रदान करने वाले ग्रह | Planets Helpful in Imparting Education

बुध ग्रह को बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है. गुरु ग्रह को ज्ञान का कारक ग्रह माना गया है. बच्चे की कुण्डली में बुध तथा गुरु दोनों अच्छी स्थिति में है तब शिक्षा का स्तर भी अच्छा होगा. इन दोनों ग्रहों का संबंध केन्द्र या त्रिकोण भाव से है तब भी शिक्षा क स्तर अच्छा होगा.

वर्ग कुण्डलियों से शिक्षा का आंकलन | Category of Horoscope in Assessment of Education

अभी तक शिक्षा से जुडे़ भाव तथा ग्रहों के विषयों में जानकारी प्राप्त की गई है. लेकिन इन भावों के स्वामी और शिक्षा से जुडे़ ग्रहों की वर्ग कुण्डलियों में स्थिति कैसी हैइसका अध्ययन करना भी बहुत आवश्यक होता है. कई बार जन्म कुण्डली में सारी स्थिति बहुत अच्छी होती हैलेकिन फिर भी शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं होता है. क्योंकि वर्ग कुण्डलियों में संबंधित भाव तथा ग्रह कमजोर अवस्था में स्थित होते हैं.

शिक्षा के लिए नवाँश कुण्डली तथा चतुर्विंशांश कुण्डली का उपयोग अवश्य करना चाहिए. जन्म कुण्डली के पंचमेश की स्थिति इन वर्ग कुण्डलियों में देखनी चाहिए. चतुर्विशांश कुण्डली को डी - 24 तथा सिद्धांश भी कहा जाता है.