श्राद्ध किस लिए करना है?

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क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवौ के लिए खीर बनाने को कहते थे?
और कहते थे कि कौवौ को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
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नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
👉यह है सही कारण 👉
आपने किसी भी दिन पीपल और बड़गद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
🤔🤔🤔🤔
क्या पीपल या बड़गद के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है... नहीं...
बड़गद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो, परंतु नहीं लगेगी।
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कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसींग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात
कौवे जहां-जहां बीट करते हैं वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2 छोड़ता है और बड़गद के औषधि गुण अपरम्पार है।
अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है। इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?🤔🤔🤔
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मादा कौआ भाद्र महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीड़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कौवौ के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राद्ध के रूप मे पौष्टिक आहार
की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवौ की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जायें.......
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इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राद्ध करना प्रकृति के रक्षण के लिए और
घ्यान रखना, जब भी बड़गद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
👉🙏🙏सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उन पर उंगली उठाओ, जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सा चीज खाने लायक है कौन सा नही... अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों ऋषि मुनियों के नियमों पे उंगली उठाने के बजाय, उसके गहराई को जानिये🙏🙏🙏🙏
🚩जय सनातन धर्म🚩 🚩जय भारत🚩
साभार : एक ज्ञानी मित्र