ज्योतिष की सटीकता किस बात पर निर्भर करती है?
ज्योतिष की सटीकता से स्यात् आपका आशय सटीक फल कथन से है,ऐसा मैंने समझा है।ज्योतिष एक ऐसा शास्त्र है जिसमें पूर्ण रूप से निष्णात होने में हमें 200 वर्ष भी कम पड़ें।यह एक दैविक विज्ञान है ।और विना दैवी सहायता के कोई ज्योतिषी इसमें पूर्ण भी नहीं हो सकता।अब आते हैं आप के प्रश्न पर ।सर्वप्रथम जन्म का सटीक विवरण आपके पास होना चाहिये।जन्म का सूक्ष्मतम समय प्राय: नहीं मिल पाता ।जिसके कारण वर्गों की गणना में समस्या आती है ।समय में अंतर होने से घटनाओं के घटित होने के समय में अंतर आ जाता है ।तो पहली चीज जन्म का समय शुद्ध होना चाहिये ।ज्योतिषी का ज्ञान कितना है? अन्तर्ज्ञान किस श्रेणी का है?क्योंकि अदृष्ट देखने के लिए ज्योतिषी के पास अन्तर्ज्ञान का होना परम आवश्यक है ।यह प्राकृतिक होता है और सात्विकता से संवर्धित किया जा सकता है ।शास्त्रों के अनुसार एक ज्योतिषी के लिये इतने कठिन सूत्र बताये गये हैं कि उस कसौटी पर आज कुछ मुट्ठी भर लोग ही आ पायेंगे।दूसरी बात है ज्योतिषी के पास व्यावहारिक ज्ञान कितना है।अर्थात् कुंडलियां देखने का व्यक्तिगत अनुभव कितना है।अगली महत्वपूर्ण बात यह है कि ज्योतिषी का अपना कैसा समय चल रहा है ।ज्योतिषी भी इसी धरा का प्राणी है और उसपे भी सारे नियम समान रूप से लागू होते हैं ।अच्छा समय चल रहा है तो भविष्य वाणियां सत्य होंगी अन्यथा त्रुटियों की सम्भावना होगी।और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी के बारे में किसी ज्योतिषी द्वारा ईश्वर कितना सच कहलवाना चाहते हैं ।कभी कभी ऐसा होता है कि बहुत छोटी सी बात कुंडली में ज्योतिषी द्वारा अनदेखी हो जाती है और कभी कभी बहुत गूढ़ रहस्य तुरंत प्रकट हो जाता है ।सारांशत: ईश्वर की कृपा,ज्योतिषी के ज्ञान-अन्तर्ज्ञान,उसके अनुभव,उसके अपनी कुंडली में कार्यशील उत्तम समय और जातक के स्वयं के भाग्य के अनुसार ही सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है ।अनुभव में आता है कि एक व्यक्ति किसी बहुत अच्छे ज्योतिषी के पास से निराश होकर किसी दूसरे अप्रसिद्ध ज्योतिषी से सटीक भविष्यवाणी प्राप्त कर लेता है ।अस्तु।हरि ओम ।