योनि मिलान – कुण्डली मिलान भाग – 7

                योनि मिलान
        कुण्डली मिलान भाग – 7
पिछले अंक मे हमने तारा मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त की।
कुण्डली में हम योनि मिलान शारीरिक संबधो मे सहजता के संतुलन के लिए करते है। विवाह मे एक दुसरे के प्रति शारीरिक व्यवहार का संतुलन महत्वपूर्ण है। योनि मिलान द्वारा हम वैवाहिक संतुष्टी आकलन करते है ।

हमारे प्राचीन महान महर्षि द्वारा जातक के जन्मनक्षत्र के अनुसार जातक की संभावित यौन व्यवहार के अनुसार14 प्रकार में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है

1)अश्व — अश्विनी, शतभिषा जन्मनक्षत्र वाले

2) गज — भरणी, रेवती जन्मनक्षत्र

3) मेष — पुष्य, कृतिका जन्मनक्षत्र

4) सर्प — रोहणी, मृगशिरा जन्मनक्षत्र

5)श्वान — मूला,  आद्रा जन्मनक्षत्र

6)मार्जर — अश्लेषा, पुनर्वसु जन्मनक्षत्र

7)मूषक— माघा, पुर्वफाल्गुणी जन्मनक्षत्र

8) गौ — उत्तरफाल्गुणी, उत्तरभद्रापद जन्मनक्षत्र

9)महिषी —  स्वाति, हस्ता जन्मनक्षत्र

10)व्याध्र —- विशाखा,  चित्रा जन्मनक्षत्र

11)मृग  —- ज्येष्ठा, अनुराधा जन्मनक्षत्र

12) वानर —-पूर्वाषाढ़ा, श्रवणा जन्मनक्षत्र

13) नकुल — उत्तराषाढ़ जन्मनक्षत्र

14) सिंह — पूर्वभाद्रपद, धनिष्ठा जन्मनक्षत्र

अगले अंक मे हम योनि मिलान विधी की जानकारी प्राप्त करेगे ।

योनि मिलान विधी – कुण्डली मिलान भाग 8

              योनि मिलान विधी
           कुण्डली मिलान भाग 8

पिछले अंक मे हमने योनि मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त की।
योनि गुण मिलान  को कुल 4अंक आवंटित किया जाता है।

योनि मिलान में हम  5भाग में विभाजित करते है। और नीचे दिये गये सारणी के अनुसार अंक आंवटित करते है।

1)समान योनि – वर और कन्या की एक ही योनि हो तो यह सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। यह शारीरिक संबंधो के लिए भी उत्तम होता है। इसलिए 4 अंक मिलान में आवंटित किया जाता है।

2) मित्र योनि – जब वर और कन्या के योनि एक दूसरे के मित्र हो तो 3अंक आबंटित किया जाता है। मित्र योनि होने स आपस मेे रिश्ता अच्छा होता है।

3) तटस्थ योनि – जब वर और कन्या के योनि आपस मे तटस्थ हो तो यह औसत विचार किया जाता है और 2 अंक आवंटित किया जाता है। यह आपस मे ठीक ठाक संबधो का संकेत देता है।

4) विपरीत योनि – जब वर और कन्या के योनि एक दुसरे से विपरीत स्वाभव के हो तो यह आपस मे एक दूसरे से संबंध बनाने में कठनाई का संकेत देता है।और आपसी संबधो मे तालमेल का अभाव दर्शाते है ।इसप्रकार के आबंटन 1 अंक आंवटित किया जाता है।

5) शत्रु योनि – जब वर और कन्या के योनि एक दूसरे के शत्रु हो तो यह हैं आपसी संबधो के लिए यह बहुत बुरा माना जाता है और इस प्रकार के रिश्ते को जीवन में समस्या और मानसिक अवसाद के कारक हो सकते है।समान्यतः वे एक से दूसरे से शादी नहीं करना चाहिएऔर इस प्रकार के मिलान को 0 अंक आवंटित किया जाता है।

अगले अंक मे हम ग्रह मैत्री मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे ।